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“सिकंदरा चौराये पर: हर मिनट सैकड़ों वाहन, हजारों यात्री…फिर भी महिलाओं के लिए मूलभूत सुविधाएं नदारद!”
चारों ओर बस स्टैंड, भीड़भाड़, ट्रैफिक जाम, लेकिन महिला शौचालय, पेयजल, विश्राम स्थल और सुरक्षा के इंतजाम पूरी तरह नदारद।

दौसा सिकंदरा जिले का सबसे व्यस्त ट्रैफिक हब कहलाने वाला सिकंदरा चौराहा इन दिनों अव्यवस्था, असुविधा और प्रशासनिक लापरवाही की जीवंत तस्वीर बन चुका है। जहां हर मिनट सैकड़ों वाहन गुजरते हैं, चारों ओर बस स्टैंड हैं, रोजाना हजारों यात्री यहां से आते-जाते हैं, लेकिन महिलाओं के लिए मूलभूत सुविधाएं पूरी तरह नदारद हैं।
चारों ओर सरकारी और निजी बस स्टैंड, लेकिन यात्रियों के लिए कोई सुविधा नहीं। ट्रैफिक जाम, धूल, शोर और अव्यवस्था लोगों का जीना मुहाल कर रहे हैं। यात्रियों के साथ-साथ स्कूल-कॉलेज की छात्राओं और बुजुर्ग महिलाओं को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
महिलाओं के सामने अनेकों गंभीर चुनौतियां है सुरक्षित शौचालय का अभाव के साथ पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं,विश्राम स्थल नदारद है रात्रि के समय महिलाओं के लिए सुरक्षा उपायों की कमी,सीसीटीवी कैमरों की अनुपस्थिति दर्शाती हैं कि स्थानीय जनप्रतिनिधि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कितनी चिंतित।
⚠️ प्रशासन की लापरवाही।
पिछले 5 साल से महिला सुविधा केंद्र बनाने की योजनाएं फाइलों में धूल खा रही हैं। नगर निकाय, जिला प्रशासन और परिवहन विभाग की समन्वयहीनता के कारण कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया,प्रशासनिक दावों के बावजूद, सिकंदरा चौराहा विकास योजनाओं से अछूता है।
🔴 महिलाओं की प्रमुख मांगें।
महिला सुविधा केंद्र का निर्माण,स्वच्छ शौचालय।पेयजल की व्यवस्था,विश्राम स्थल,सीसीटीवी निगरानी,महिला हेल्प डेस्क और पुलिस चौकी की स्थापना।ट्रैफिक प्रबंधन प्रणाली को आधुनिक तकनीक से मजबूत करना।स्मार्ट चौराहा योजना के तहत सिकंदरा को मॉडल ट्रांजिट हब बनाया जाए।
🌟 व्यापारियों की सरकार से अपील*
> “महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और सुविधा किसी भी सरकार और प्रशासन की पहली जिम्मेदारी है।
हम राज्य सरकार, जिला प्रशासन तूरंत ठोस कार्रवाई की मांग करते हैं। सिकंदरा चौराहे को मॉडल ट्रांजिट हब के रूप में विकसित करनाअब समय की सबसे बड़ी जरूरत है।” सिकंदरा चौराहा आज जिला मुख्यालय का धड़कता दिल है,लेकिन महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा के मामले में यह प्रशासन की नाकामी का आईना बन चुका है।यदि प्रशासन अब भी नहीं जागा, तो स्थिति और भी बदतर हो सकती है।
चारों तरफ भीड़ और जाम तो है,लेकिन महिलाओं के लिए एक सुरक्षित शौचालय तक नहीं। प्रशासन सिर्फ टैक्स वसूलना जानता है, सुविधा देना नहीं।”
— कविता सैनी, स्थानीय निवासी
> “हम रोजाना कॉलेज जाने के लिए सिकंदरा चौराहे से गुजरते हैं। यहां न तो सुरक्षा इंतजाम हैं, न विश्राम स्थल। शाम के बाद माहौल और भी असुरक्षित हो जाता है।”
— *कॉलेज छात्रा ने बताया।