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RSS कार्यक्रम पर चीफ प्रॉक्टर का बयान – “कांग्रेस का डबल स्टैंडर्ड, खुद करती है कार्यक्रम, दूसरों पर आपत्ति।

राजनीति और शिक्षा आमने-सामने: प्रशासन की अपील – विश्वविद्यालय की गरिमा बचाएं

ब्यूरो चीफ: मनोज कुमार सोनी/

जयपुर: राजस्थान विश्वविद्यालय का कैंपस इन दिनों सियासी हलचल का केंद्र बना हुआ है। 30 सितंबर को विजयादशमी के अवसर पर आरएसएस का शस्त्र पूजन कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन से बाकायदा अनुमति ली गई थी। लेकिन इस आयोजन को लेकर कांग्रेस नेताओं—पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा—ने कड़ी आपत्ति जताई और इसे विश्वविद्यालय में “राजनीतिक हस्तक्षेप” बताया।

हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने कांग्रेस नेताओं के आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा कि आयोजन पूरी तरह अनुमति प्राप्त था और किसी भी प्रकार की नियमावली का उल्लंघन नहीं हुआ। प्रशासन ने कांग्रेस पर “विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को राजनीतिक लाभ के लिए बदनाम करने” का आरोप लगाया है।

हंगामे के बाद विवाद और गहराया, 9 गिरफ्तार

आरएसएस के कार्यक्रम के दौरान एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन करते हुए स्टेज पर तोड़फोड़ की थी। हंगामे के दौरान पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा और इस झड़प में एसीपी गांधी नगर सहित कई पुलिसकर्मी घायल हुए। चेतक वाहन को भी नुकसान पहुंचाया गया।

घटना के बाद पुलिस ने एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष विनोद जाखड़ सहित 9 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर जेल भेजा। उनके खिलाफ सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और सरकारी कार्य में बाधा डालने के आरोपों में मुकदमा दर्ज किया गया है।

प्रशासन का पलटवार: “कांग्रेस दोहरे मापदंड अपना रही है”

राजस्थान विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर प्रो. राम नारायण शर्मा ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जब खुद 27 सितंबर को उदयपुर के सुखाड़िया विश्वविद्यालय में राजीव गांधी सेंटर के कार्यक्रम में शामिल हुए थे, तब उन्होंने वहां किसी भी प्रकार की आपत्ति नहीं जताई।

उन्होंने सवाल उठाया, “जब कांग्रेस से जुड़ा कार्यक्रम कार्यदिवस में हो सकता है तो फिर किसी सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन के आयोजन पर आपत्ति क्यों?” प्रो. शर्मा ने कहा कि यह “डबल स्टैंडर्ड” है, जिसका उद्देश्य सिर्फ विश्वविद्यालय की छवि को धूमिल करना है।

राजनीतिकरण से दूर रहे विश्वविद्यालय: प्रशासन की अपील

प्रो. शर्मा ने कहा कि राजस्थान विश्वविद्यालय की पहचान शैक्षणिक, शोध और सांस्कृतिक उत्कृष्टता के लिए है। इसे राजनीतिक मंच बनाना उचित नहीं। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि किसी भी वैचारिक मतभेद को विश्वविद्यालय परिसर से दूर रखें ताकि विद्यार्थी बिना दबाव के शिक्षा प्राप्त कर सकें। प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में किसी भी संगठन को कार्यक्रम की अनुमति नियमानुसार दी जाएगी, चाहे वह किसी भी विचारधारा से जुड़ा हो।

कांग्रेस का पलटवार: “विश्वविद्यालय आरएसएस की शाखा नहीं”

दूसरी ओर, कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि “राजस्थान विश्वविद्यालय आरएसएस की शाखा नहीं है। शिक्षा के मंदिर में किसी संगठन विशेष की विचारधारा को थोपना स्वीकार्य नहीं।”एनएसयूआई नेताओं ने कहा कि वे विश्वविद्यालय के “सांप्रदायिकरण” के खिलाफ संघर्ष जारी रखेंगे और गिरफ्तार कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग की।

मामले की जांच जारी, प्रशासन सख्त

फिलहाल पुलिस पूरे प्रकरण की जांच कर रही है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने चेतावनी दी है कि भविष्य में किसी भी कार्यक्रम में नियमों का उल्लंघन हुआ तो आयोजनकर्ता और विरोध करने वाले दोनों पर कार्रवाई होगी। यह मामला अब प्रदेश की राजनीति में नया मुद्दा बन चुका है जहां शिक्षा और राजनीति के बीच की सीमाएं धुंधली होती जा रही हैं।

 

 

 

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