विश्व प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के आश्रम में डिप्टी सीएम….भय और लालच ये दो शब्द ऐसे हैं जो हमको नीचे गिरा देते हैं।
विश्व प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के आश्रम यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक अपनी पत्नी नम्रता पाठक के साथ पहुंचे. उन्होंने संत के चरणों में प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लिया.

भगवान जो करते हैं, उसके विपरीत कुछ भी करने की किसी के पास ताकत नहीं. कोई एक रोम भी उखाड़ सके. जो विधाता ने लिख दिया छठे राव के अंक राई घटे न तिल बड़े रह निशंक बिल्कुल निर्भय रहना चाहिए. भय तो किसी का मानना नहीं चाहिए, अब रह गया प्रलोभन, इससे बचना चाहिए।
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उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक अपने दो दिवसीय दौरे पर मथुरा वृंदावन पहुंचे थे।
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इस दौरान डिप्टी सीएम के साथ मानसीगंगा सेवा अधिकारी शिवम् भैया भी मौजूद रहे,
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सेवा अधिकारी शिवम् ने डिप्टी सीएम के परिवार के साथ प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के दरबार में हाजिरी लगाई।
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यह मुलाकात धार्मिक और राजनीतिक दोनों ही दृष्टियों से महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
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उपमुख्यमंत्री पाठक ने महाराज के समक्ष नमन किया और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
विश्व प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के आश्रम यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक अपनी पत्नी नम्रता पाठक के साथ पहुंचे. उन्होंने संत के चरणों में प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लिया. इस मौके पर महाराज जी ने डिप्टी सीएम को जीवन की गहराइयों से जुड़ी आध्यात्मिक सीख दी. उन्होंने कहा कि मनुष्य का जन्म केवल भोग-विलास के लिए नहीं, बल्कि भगवान की प्राप्ति के लिए होता है. उन्होंने समझाया कि भगवत प्राप्ति के लिए संन्यास लेना या जंगलों में जाकर साधना करना ही जरूरी नहीं है, यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन के कर्तव्यों को ईमानदारी, निष्ठा और सत्य के साथ निभाए, और भगवान का निरंतर स्मरण करता रहे, तो वह भी ईश्वर तक पहुंच सकता।
संत ने भगवद गीता का उदाहरण देते हुए कहा।
श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा था, “माम अनुस्मर युद्ध्य च” यानी युद्ध करो और मेरा स्मरण भी करो. इसका अर्थ है कि कर्म करते हुए भी भगवान को याद रखा जा सकता है. उन्होंने डिप्टी सीएम को बताया कि जिस पद पर वे हैं, उसका उपयोग यदि राष्ट्र सेवा और जनकल्याण की भावना से किया जाए, तो वही पद भगवान की प्राप्ति का साधन बन सकता है.
प्रेमानंद महाराज ने डिप्टी सीएम को जीवन में भय और लालच से बचने की सलाह दी।
. उन्होंने कहा कि यदि व्यक्ति डर या प्रलोभन में आकर काम करता है, तो वह अपने धर्म से च्युत हो सकता है. लेकिन जो निडर और निष्काम होकर अपने कर्तव्यों का पालन करता है, वह न केवल समाज में सफल होता है, बल्कि आत्मिक रूप से भी उन्नति करता है. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने संत की शिक्षाओं को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि वे इन सिद्धांतों को अपनी सार्वजनिक सेवा में अपनाने का प्रयास करेंगे. उन्होंने संत प्रेमानंद जी का आभार व्यक्त करते हुए उनके आशीर्वाद को अपनी सेवा यात्रा के लिए मार्गदर्शक बताया।
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने एक्स पोस्ट में लिखा,
‘आज वृन्दावन धाम में अपने ओजस्वी, प्रभावशाली उपदेशों से करोड़ों लोगों के जीवन में आध्यात्मिक एवं धार्मिक चेतना को जाग्रत कर उनके जीवन को प्रकाशित करने वाले श्रीराधा रानी जी के परम भक्त दिव्य एवं पूज्य संत श्री प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज का सपत्नीक आशीर्वाद प्राप्त करने का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ.’
‘जो विधाता ने लिख दिया वही होगा उसे कोई ताल नहीं सकता’
प्रेमानंद जी महाराज ने कहा जब युद्ध करते भगवत स्मरण हो सकता है, तो फिर समाज सेवा करते भी भगवत स्मरण हो किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि प्रलोभन और भय ये दो शब्द ऐसे हैं जो हमको नीचे गिरा देते हैं. किसी से डरना नहीं चाहिए और कोई प्रलोभन नहीं रखना है और जो विधान मेरे प्रभु ने रच दिया है. वह वही विधान भगवान जो करते हैं, उसके विपरीत कुछ भी करने की किसी के पास ताकत नहीं. कोई एक रोम भी उखाड़ सके. जो विधाता ने लिख दिया छठे राव के अंक राई घटे न तिल बड़े रह निशंक बिल्कुल निर्भय रहना चाहिए. भय तो किसी का मानना नहीं चाहिए, अब रह गया प्रलोभन, इससे बचना चाहिए।