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“सिकंदरा पार्क बना बेजुबानों की कैदगाह – वन्यजीव तस्करी का भंडाफोड़!”रात में कैद, सुबह खुला राज – तस्करों की तलाश में पुलिस।

रात के अंधेरे में कैद किए गए चाकलैंड, प्लास्टिक डिब्बों में बंद बेजुबान — सुबह खुला रहस्य।

                               हाइलाइट्स

प्रशासन और पंचायत की लापरवाही उजागर।

गांव के बीचोंबीच बने पार्क में CCTV और सुरक्षा गार्ड का अभाव

रात्रि निगरानी न होना गंभीर चूक।

डिब्बों में बने छोटे छेद – जीवों को जिंदा रखने के लिए ढक्कनों में छेद ।

जिससे साफ है कि यह जिंदा तस्करी की साजिश थी।

 

सिकंदरा (दौसा): प्रकृति के बेजुबान रक्षक कहे जाने वाले वन्यजीवों की तस्करी का चौंकाने वाला मामला सिकंदरा पार्क से उजागर हुआ है। पार्क में बने एक छोटे से कमरे में देर रात करीब 2 बजे के आसपास कुछ असामाजिक तत्व आए और पार्क में बने छोटे से कमरे में (चाकलैंड) को पकड़कर बड़े प्लास्टिक के डिब्बों में बंद करके रख गये बाहर से ताला भी ठोक गए। ढक्कनों में छोटे-छोटे छेद कर दिए गए ताकि जानवर जिंदा रहें, लेकिन यह अमानवीय कृत्य पार्क में वन्यजीव संरक्षण पर गंभीर सवाल खड़े करता है। सुबह जब पार्क में घूमने आए स्थानीय लोगों ने कमरे से कुछ हलचल और आवाजें सुनीं, तो उन्हें शक हुआ। ग्रामीणों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी।

सूचना पर सब इंस्पेक्टर हेमराज गुर्जर पुलिस जाब्ते के साथ मौके पर पहुंचे। जांच के दौरान पाया गया कि कमरे पर बाहर से ताला लटका हुआ था, जबकि ऊपरी पट्टी टूटी हुई थी। पुलिस कर्मियों ने बड़ी मशक्कत से अंदर झांककर देखा तो नजारा चौंकाने वाला था डिब्बों में बंद कई वन्यजीव तड़प रहे थे।

पुलिस की मौजूदगी में मौके पर भीड़ जुट गई। तुरंत वन विभाग की टीम को बुलाया गया, जिन्होंने इन बेजुबान जीवों को जंगल में सुरक्षित छोड़ने की बात कही। लेकिन यह साफ़ संकेत था कि इन वन्यजीवों को जिंदा पकड़कर किसी तस्करी के मकसद से लाया गया था।
पार्क के आस पास रहने वाले ग्रामीणों ने बताया कि कुछ समय से क्षेत्र में अज्ञात वाहनों की आवाजाही देखी जा रही थी। रात के अंधेरे में कुछ लोग पार्क के आसपास आते-जाते दिखते थे, मगर कोई ठोस सबूत नहीं था। अब इस घटना के बाद तस्करी गैंग की मौजूदगी पर शक और गहरा गया है। लोगों ने मांग की है कि पुलिस इस पूरी साजिश की जड़ तक पहुंचे।
इतनी बड़ी घटना शहर के बीचोंबीच बने पार्क में हो जाना पंचायत की लापरवाही का प्रमाण है।अगर सुबह कोई व्यक्ति पार्क नहीं आता तो शायद ये जीव दम घुटने से मर जाते। ऐसे में सवाल उठना लाज़मी है, लोग पूछ रहे है,पार्क की रात्रिकालीन निगरानी कौन करता है,CCTV क्यों नहीं लगे हैं?
ग्रामीणों का कहना है कि बेजुबान जानवरों पर हो रही क्रूरता पर सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए।प्रकृति ने हर जीव को किसी उद्देश्य से बनाया है। बेजुबान जीव पर्यावरण के प्रहरी हैं। उनकी हत्या, कैद या तस्करी केवल कानूनी अपराध नहीं, बल्कि मानवता के खिलाफ अपराध है। हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस या वन विभाग को दे।“बोलिए उनके लिए जो खुद नहीं बोल सकते — क्योंकि मौन उनका अपराध नहीं, हमारी जिम्मेदारी है।”क्या प्रशासन केवल दिखावा करेगा या गंभीर जांच होगी?क्या बेजुबान जीवों की सुरक्षा केवल कागज़ों में है? इन सवालों के जवाब ही तय करेंगे कि समाज कितना संवेदनशील है और सिस्टम कितना ज़िम्मेदार।

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