जयपुर: राजस्थान एसआई भर्ती घोटाला: रद्द नहीं होगी एसआई भर्ती कैबिनेट सब कमेटी की रिपोर्ट कोर्ट में पेश, अंतिम सुनवाई सात जुलाई को।
01 जुलाई मंगलवार - राजस्थान सरकार की कैबिनेट सब कमेटी के साथ-साथ पुलिस मुख्यालय ने भी इस भर्ती परीक्षा में हुई धांधली को आधार बताते हुए इसे रद्द करने की सरकार से सिफारिश की थी।

कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा भी कई बार इस भर्ती परीक्षा के रद्द करने की खुलकर मांग करते हुए मामले में हो रही देरी के लिए सरकार से अपनी नाराजगी जता चुके हैं।
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सरकार ने इस सिफारिश के बाद भी कानूनी पहलुओं पर विचार किया और आज हाई कोर्ट के समक्ष अपना अंतिम फैसला भी रख दिया।

राजस्थान जयपुर:याचिकाकर्ता ने निर्णय में देरी और पूर्व एजेंसियों की सिफारिशों का मुद्दा उठाया। राजस्थान सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में हुई एसआई भर्ती को रद्द नहीं किया जाएगा। इस संबंध में महाधिवक्ता (एडवोकेट जनरल) राजेन्द्र प्रसाद ने राजस्थान हाईकोर्ट में कैबिनेट सब कमेटी की रिपोर्ट को अतिरिक्त हलफनामे (एडिशनल एफिडेविट) के साथ प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि कैबिनेट सब कमेटी ने जांच के बाद भर्ती रद्द न करने की सिफारिश की है, जिसे मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा स्वीकृति दे दी गई है। कोर्ट ने इस पर सभी पक्षों को रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। इस मामले की अंतिम सुनवाई अब 7 जुलाई को निर्धारित की गई है।
इससे पहले, 26 मई को हुई सुनवाई में सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कोर्ट को अवगत कराया था कि सरकार इस भर्ती पर स्पष्ट निर्णय लेना चाहती है। उन्होंने यह भी कहा था कि जब उनसे कानूनी राय मांगी गई थी, तब उन्हें जानकारी दी गई थी कि इस भर्ती घोटाले में 400 से 500 लोग संलिप्त हैं, जबकि एसओजी अब तक केवल 55 आरोपियों को गिरफ्तार कर पाई है। भर्ती में 800 से अधिक अभ्यर्थियों का भविष्य दांव पर है, इसलिए यह निर्णय मुख्यमंत्री स्तर पर लिया जाना जरूरी था।
चौंकाने वाली बात
यह है कि राजस्थान सरकार की कैबिनेट सब कमेटी के साथ-साथ पुलिस मुख्यालय ने भी इस भर्ती परीक्षा में हुई धांधली को आधार बताते हुए इसे रद्द करने की सरकार से सिफारिश की थी। यहां तक की कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा भी कई बार इस भर्ती परीक्षा के रद्द करने की खुलकर मांग करते हुए मामले में हो रही देरी के लिए सरकार से अपनी नाराजगी जता चुके हैं। लेकिन सरकार ने इस सिफारिश के बाद भी कानूनी पहलुओं पर विचार किया और आज हाई कोर्ट के समक्ष अपना अंतिम फैसला भी रख दिया।
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कोर्ट ने तब यह प्रश्न भी उठाया था कि सरकार को इतना समय क्यों लग रहा है:
इस पर महाधिवक्ता ने जवाब दिया था कि मामला संवेदनशील है और निर्णय मुख्यमंत्री स्तर से होना है, इसलिए कुछ समय की आवश्यकता थी। वहीं याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई थी कि पहले ही चार जांच एजेंसियां भर्ती को रद्द करने की सिफारिश कर चुकी हैं, इसके बावजूद सरकार निर्णय लेने में अनावश्यक विलंब कर रही है। साथ ही यह भी बताया गया कि भर्ती के तहत चयनित कई अभ्यर्थी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं, ऐसे में पूरी परीक्षा को रद्द करना उनके भविष्य से खिलवाड़ होगा.
सरकार ने दिया सब-कमेटी की जांच का हवाला
सरकार ने यह भी जानकारी दी कि एक सब-कमेटी द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में भी यही सुझाव दिया गया है कि परीक्षा को रद्द नहीं किया जाए. इसी रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपना जवाब प्रस्तुत किया. मामले की अगली सुनवाई 7 जुलाई 2025 को निर्धारित की गई है.